इस डॉन की बेटी के भाग्य का कल होगा फैसला, जीत के बाद रचेगी इतिहास.
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गरीब जनता में मसीहा के नाम से पुकारे जाने वाले सदर विधायक अखिलेश सिंह की बेटी अदिति सिंह का 11 को आयेगा फैसला।
गांधी परिवार ने अपने गढ़ में सियासी तौर पर सब हासिल किया, लेकिन एक मलाल रहा कि सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में वो कभी विधायक अखिलेश सिंह को नहीं हरा पाए. अखिलेश सिंह कभी कांग्रेस पार्टी के ही विधायक थे, लेकिन अखिलेश पर तमाम आपराधिक मामले दर्ज हुए और वो कांग्रेस से बाहर कर दिए गए।
लेकिन तीन बार कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले अखिलेश ने बाद में बतौर निर्दलीय और फिर पीस पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा का चुनाव रायबरेली की सदर सीट से जीता । अभी सिटिंग विधायक अखिलेश ने फैसला कर लिया कि, अब वो अपनी जगह अपनी बेटी को विधानसभा चुनाव में उतारा है।
पहले बसपा, एसपी और बीजेपी से उनकी बेटी के चुनाव लड़ने की चर्चा तेज थी, लेकिन अंदरखाने प्रियंका गांधी ने अहम रोल निभाया और अखिलेश की बेटी अदिति कांग्रेस में शामिल हो गयीं। अब वो रायबरेली सदर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने का इन्तजार कर रही है।
अखिलेश और गांधी परिवार का लव-हेट का रिश्ता
रायबरेली में नेताजी और विधायक जी के नाम से मशहूर अखिलेश सिंह के जलवे के आगे गांधी परिवार का जलवा हमेशा फीका रहा । सैय्यद मोदी हत्याकांड में नाम उछलने के बाद कांग्रेस से अलग हुए अखिलेश ने एक बार तो जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा। खुद प्रियंका गांधी ने रायबरेली सदर विधानसभा क्षेत्र में घूम घूम कर उनको हराने के लिए खूब प्रचार किया, लेकिन अखिलेश बड़े अंतर से जीते।
पिछले चुनाव में पीस पार्टी के उम्मीदवार अखिलेश ने चुनाव प्रचार में प्रियंका के खिलाफ व्यक्तिगत हमले किये, लेकिन प्रियंका की तमाम कोशिशों के बावजूद विधायक भी वही बने। वैसे रायबरेली में प्रियंका ने जब सतीश शर्मा के लिए पहली बार प्रचार की कमान संभाली, उसके पहले अखिलेश अपने भाई अशोक सिंह को सांसद बनवाया करते थे और कांग्रेस की ज़मानत ज़ब्त हुआ करती थी, जबकि कभी एक ज़माने में रायबरेली से खुद इंदिरा गांधी सांसद हुआ करती थीं।
बाद में सोनिया गांधी ने ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट के मामले में लोकसभा से इस्तीफा देकर फिर उपचुनाव लड़ा तो कांग्रेस चाहती थी कि, सोनिया की जीत का अंतर बढ़ जाये, इसिलिये मान मुनव्वल करके अखिलेश की कांग्रेस में वापसी करायी गयी और सोनिया ज़्यादा अंतर से जीत भी गयीं, लेकिन आपराधिक मामले और दबंग छवि के चलते कांग्रेस से उनकी राहें फिर जुदा हो गयीं।
अखिलेश की बेटीअदिति सिंह और प्रियंका गाँधी और रायबरेली।
ये बात सभी जानते हैं कि, रायबरेली में अखिलेश का अपना वोटबैंक है। वो किसी भी पार्टी के लिए एक अहम सियासी हथियार हो सकते हैं। इसीलिए जब उन्होंने अपनी बेटी को सियासत में उतारने का फैसला किया तो हर पार्टी ने उन पर डोरे डाले, लेकिन बाद में प्रियंका गांधी ने अमेठी राजघराने के संजय सिंह के ज़रिये अखिलेश से संपर्क साधा और विदेश से पढ़कर लौटी उनकी बेटी अदिति को कांग्रेस में शामिल करा दिया, जिससे रायबरेली में अखिलेश की ताक़त से कांग्रेस को और मज़बूती मिले, साथ ही अपने गढ़ में एक बड़ी चुनौती ख़त्म होती दिखाई पड़ रही है।
खास बात ये रही कि, अदिति को कांग्रेस में प्रभारी ग़ुलाम नबी आज़ाद की मौजूदगी में दिल्ली में शामिल कराया गया था जो बताया जाता है कि, अखिलेश रायबरेली में कितनी ताकत रखते हैं। परदे के सामने के ये सारी बाते सामने आयीं, लेकिन कांग्रेस परिवार के पास आई परदे के पीछे की वो तस्वीर जो प्रियंका की भूमिका खुदबखुद बयां कर देती है। अब कुछ घण्टे शेष है पर्दा उठने में देखना ये होगा की क्या अदिति सिंह अपने पिता से ज्यादा वोट पाने में कामयाब हो पाती है ।या फिर उनको अपने पिता की रणनीति छोड़ कर खुद की नई रणनीति तैयार करनी होगी इस रायबरेली सदर विधानसभा की जनता के लिए क्योकि जनता में उनकी एक अलग छवि दिखाई पड़ी है वह एक युवा है और विदेश की से पढ़ाई की है और इस रायबरेली जो वीआईपी जिला भी कहलाता है इसकी बागडोर भी सम्हालेगी । और जनता केवल विकास पर ध्यान देती है और अपने को सुरझित देखना चाहती है । ये जनता अपने प्रत्यासी से उम्मीद लगाती है पांच साल के लिए । अब देखना ये होगा की ये जनता में कितनी बाते सही साबित कर पाती है।
रायबरेली विधान सभा ।
2012 अखिलेश कुमार सिंह, पीस पार्टी, 75588 वोट मिले थे ।
2007 अखिलेश कुमार सिंह, आईएनडी 76603 वोट मिले थे।
2002 अखिलेश कुमार सिंह आईएनसी 115869 वोट मिले थे।
1996 अखिलेश कुमार सिंह आईएनसी 86358 वोट मिले थे।
1993 अखिलेश कुमार सिंह आईएनसी 69505 वोट मिले थे।
2007 अखिलेश कुमार सिंह, आईएनडी 76603 वोट मिले थे।
2002 अखिलेश कुमार सिंह आईएनसी 115869 वोट मिले थे।
1996 अखिलेश कुमार सिंह आईएनसी 86358 वोट मिले थे।
1993 अखिलेश कुमार सिंह आईएनसी 69505 वोट मिले थे।
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