चुनाव से पहले अखिलेश-राहुल की सामने बड़ी समस्या, इन दो महत्वपूर्ण सीटों पर गठबंधन टूटा!.
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नेताओं से मतदाताओं ने बहुत कुछ सीखा
रायबरेली पिछले चुनाव में नेताओं द्वारा वादे करके भूल जाना और जनता के हितों की अनदेखा करना इस चुनाव में उनके गले की फांस बन सकता है /यही नहीं नेताओं की कथनी करनी में अंतर उनकी उम्मीदवारी को महंगा पड़ सकता है/ अब मतदाता भी पहले जैसे भोले भाले नहीं रह गए हैं, अब वह भी सभी की हां में हां मिलाते हैं /क्योंकि वादा करना मुकर जाने का पाठ नेताओं से ही मतदाताओं ने सीखा है/ सच्चाई के सामने झूठ और अधिक समय तक टिक नहीं पाता है/ विकास की गंगा बहा दिए जाने जैसी चुनावी वादे बनावटी सोहरत से कुर्सी हथयाने वालों की चुनावी डगर इस बार कठिन कांटो भरी हो सकती है/ क्योंकि जनता समझ चुकी है कि समाज सेवा व विकास से सरोकार ना रखने वाले वालों को कैसे अपने मताधिकारो से उसे पटकनी देनी है/ जनता आपकी बार लोभी नेताओं के बहकावे जात पात के चक्कर में ना फंसकर विकास की राह पर मताधिकार करने का विचार बना चुकी है ,इसलिए कि यह जनता है सब जानती है क्योंकि सरकार बनने के बाद उसी जनता की चिंता छोड़ जनप्रतिनिधि मनमानी पर उतर आते हैं और भूल जाते हैं कि एक समय उसी जनता की चौखट पर उन्हें फिर मथ्था टेकना है / सत्ता सिंहासन पर आसीन रहने के समय शायद उन्हें यह याद नहीं रहता कि उनका चुनाव जनता ने किया है/तो वह अपदस्थ भी कर सकती है, हां इसके लिए उन्हें पांच साल का इंतजार करना होता है/ नेता यह भी भूल जाते हैं कि जनता से बड़ी सरकार कोई नहीं होती है।
इन सीटों पर टूटा गठजोड़ वहां क्या करेंगे राहुल और अखिलेश
रायबरेली यूपी में महागठबंधन के दो प्रमुख किरदार कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली के दो विधानसभा क्षेत्र ऊंचाहार और सरैनी एक बड़ी चुनौती है / यहां दोनों दलों का गठबंधन टूट गया है ,यहां दोनों ही दलों के प्रत्याशी एक-दूसरे के मुकाबले चुनाव मैदान में है / यदि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तथा कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी एवं उनकी बहन कांग्रेस के स्टार प्रियंका गांधी यदि इन तीनों लोग रायबरेली के दौरे पर आते हैं/ तो वह इन दोनों क्षेत्रों के लिए क्या रणनीति बनाएंगे / क्योंकि इन दोनों क्षेत्रों में गठबंधन पूरी तरह से टूट कर बिखर गया है और यहां पर सपा एवं कांग्रेस उम्मीदवार एक दूसरे के आमने-सामने चुनाव मैदान में डटे हैं/ यही नहीं यहां की जनता की भी बात असमंजस में है कि कांग्रेस और सपा में वह किसकी हिमायती बने और किसको अपना हिमायती समझे।
रायबरेली में गठबंधन के प्रचार की शुरुआत 15 फरवरी से
जब की 15 फरवरी को रायबरेली में मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार करने आ रहे है /लेकिन देखना यह है की वह सपा के लिए प्रचार करते है की कांग्रेस के लिए / इसके पहले कांग्रेस से श्रीमती प्रियंका गाँधी वाड्रा का रायबरेली में तीन दिवसीय कार्यक्रम लगा था लेकिन वह अपने सही समय पर नही आ सकी थी लेकिन श्रीमती सोनिया गाँधी के प्रीतिनिधि के.एल। शर्मा ने बताया है की चुनाव के पहले श्रीमती प्रियंका गाँधी रायबरेली में आयेंगी जारूर / और कांग्रेस राष्ट्रीय उपाध्यझ राहुल गाँधी का कार्यक्रम 17 फरवरी को आने की सम्भावना है इसके बाद श्रीमती सोनिया गाँधी भी अपनी जनसभा 20 फरवरी को रायबरेली में कर सकती है / लेकिन कांग्रेस के सभी बड़े नेता अपने कार्यकर्ताओ और प्रत्याशियो के लिए वोट मांगेंगे य सपा के लिए भी / जबकि गठबंधन तो रायबरेली में कहीँ न कहि किसी न किसी विधानसभा में दिखाई पड़ रहा है /
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