यूपी में प्रियंका के लिए बड़ा चैलेंज बन सकतीं हैं डिंपल, ग्लैमर पर भारी पड़ सकती है सादगी!.
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http://www.patrika.com/news/raebareli/dimple-yadav-may-challenged-to-priyanka-gandhi-in-up-election-2017-news-in-hindi-1486703/
माधव सिंह
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उत्तर प्रदेष के काग्रेंस के गढ़ रायबरेली जिले में 2017 के चुनाव की चर्चायें आम जनता में चालू हो चुकी है और इस जिले में वर्तमान में पांच विधान सभाओं में समाजवादी पार्टी के विधायक है। जबकि सदर में पीसपार्टी की सीट है ंजिसको लेकर काग्रेंस,भाजपा,बसपा ये सभी पार्टियां जोर असमाइस में लगी हुई हैं। अभी प्रदेष में समाजवादी पार्टी में काग्रेंस से गठबंधन की बात की जा रही है । समाजवादी पार्टी काग्रेंस को कितनी सीटें देती है ये तो आने वाले कुछ दिनों में पता चलेगा।
आज अगर रायबरेली जिले की बात की जाये तो 35 लाख की आबादी वाले रायबरेली में 19 लाख 81 हजार मतदाता पाया जाता है । काग्रेंस में प्रियंका गांधी का 2007 में प्रियंका गांधी का जादू रायबरेली में चला और रायबरेली में 5 विधानसभा में जीत का परचंम लहराया था केवल सदर सीट को छोड़ कर सभी में प्रचार और ग्लेमर कर असर हुआ जनता पर लेकिन धीरे धीरे 2012 के विधानसभा का चुनाव हो या 2014 के लोकसभा के चुनाव की बात हो । प्रियंका गांधी ने इन दोनो चुनाव में जमकर प्रचार किया था। पर 6 विधानसभा के चुनावों में काग्रेंस की एक भी सीट को नही जिताने में कामयाबी हांसिल नही हों सकी थी। लेकिन कुछ विधानसभा में प्रत्यासियों ने टक्कर दी थी, जहां तक प्रियंका गांधी का प्रचार और ग्लेमर का प्रभाव कम होता गया ।
जैसे-हरचंदपुर विधानसभा में समाजवादी पार्टी कें विधायक सुरेन्द्र विक्रम सिंह 51262 वोट मिले थे जबकि काग्रेंस के षिवगणेष लोधी को 37069 मिले थे।
सलोन विधान विधान सभा समाजवादी पार्टी की आषाकिषोर 69020 वोट मिले थे जबकि काग्रेंस के षिवबालक पासी को 48443 वोट मिले थे।
इस प्रकार ये दोनो विधान सभा छोड़कर किसी भी अन्य विधानसभा में काग्रंेस पार्टी ने टक्कर नही दे सकी थी। जबकि काग्रेंस के लोंगों का मानना है कि हमारा वोट बैंक लोकसभा के चुनाव में बढ़ा हंैै। अब 2014 के लोकसभा के चुनाव में काग्रेंस के लोगों का मानना है कि काग्रेंस पार्टी ने सोनिया गांधी को 526434 वोट मिले थे,जबकि 2009 में लोकसभा में 481490 वोट मिले थें। तो कुल मिलाकर दोनो लोकसभा में सोनिया गांधी को 2009 की 2014 के चुनाव में काग्रेंस को प्रिकां गाधी ने अपने प्रचार से 44944 वोट बैंक बढ़ाया था। जबकि 2014 के चुनाव में मोदी की लहर भी थी इसके बावजूद जिले में वोटो की संख्या में बढोत्तरी हुई थी ।
अब आने वाले समय काग्रेंस के लियेें प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेष में भी प्रचार करने वाली है। लेकिन अगर यह देखा जाये कि प्रियंका गांधी चुनाव से चुनाव तक ही सीमित है तो क्या यह सही माना जायेगा। क्योकि रायबरेली में 2016 में प्रियकां गांधी एक बार ही कांग्रेस के जिलाअध्यक्ष स्व0 उमाषंकर मिश्रा की मृत्यु पर उनको श्रृद्धांजली देने कुछ समय के लिये रायबरेली आयी थी । अब अगर प्रियकां गांधी का अपने ही जिले में जादू नही चल सकी है तो आगे उत्तर प्रदेष के प्रचार में जनता क्या ग्लेमर पर वोट देगी या विकास के मुददों पर वोट देना चाहेगी। पर जनता का जहां तक मानना है कि आज जो भी पार्टी का नेता हो या स्टार प्रचारक उसे देखना तो पसन्द करता है पर जब वोट देने की बात आती है तो वह मुददों को लेकर उस पार्टी की ओर देखता है और साथ पिछले भी मुददे को ध्यान देती है कि किस पार्टी ने कितने अपने वादों को पूरा किया है या नही । इसलिये प्रियकां गांधी अगर इस बार भी अपने घर में सीटों पर प्रचार करेगी और उनका जादू चलता है या नही और काग्रेंस को अपनी खोयी हुई जमीन वापस मिलती है। या आने वाले भविश्य में काग्रंेस रायबरेली में केवल एक ख्वाब सजों कर अलवारी में रख सकती है।
प्रियंका गांधी इस बार अपने साथ समाजवादी पार्टी की सांसद डिम्मपल यादव जो मुख्यमंत्री की पत्नी भी है एक साथ प्रचार कर सकती है अगर गठबन्धन हो जाता है तो हो सकता है कि काग्रेंस पार्टी को रायबरेली और अमेठी इन जिलों में जो समाजवादी पार्टी के सिटिंग विधायक या उस क्षेत्र में समाजवादी पार्टी के विकास के बल पर जीत हांसिल कर सकते है। जिससे प्रियंका गांधी को कुछ सीटे मिलने की भी उम्मीदें जगा सकती हैं। और कांग्रेस पार्टी को गठबधंन का फायदा पूरी तरह से मिल सकता है।
रायबरेली की जनता इदिंरा गांधी से अभी तक केवल गांधी परिवार के नाम से वोट देती आयी है। आज अगर विकास की बात करें तो इंदिरा गांधी के समय जितना विकास और रोजगार मिले थें इसके बाद इस जिले में दुबारा षायद ही मिले हो। सोनिया गांधी के समय में रेलकोच, रेलपहिया कारखाना ये सभी कारखाने खोले तो गये पर रायबरेली के लोगो को कितना मिला ये तो जनता जानती है। लेकिन रायबरेली की जनता आज भी लोकसभा के चुनावों में गांधी परिवार को प्राथमिकता देती है और विधानसभा के चुनावों में किसी भी अन्य पार्टियों को वोट देने के लिये कहती है क्योंकि युवा हो या बुर्जुग सभी का मानना है कि आज अगर रायबरेली में काग्रेंस के गांधी परिवार ने जितना भी किया वह भी काफी है और किसी पार्टी का सांसद इस जिले में विकास नही कर सकता है। इसलिये प्रियंका गांधी प्रचार चाहे जितना करें पर विधानसभा के चुनाव में प्रत्यासी के चेहरे और व्यवहार,उसके किये गये कार्यो और उस विधानसभा के क्षेत्र में जाति विषेश का भी प्रभाव पड़ता है । इसलिये कोई भी प्रचार करें आज जनता कहती कुछ है,सुनती कुछ है, और करती कुछ और है। इसलिये प्रियंका गांधी क्या करेगी अब तो आने वाले समय में सबकुछ साफ हो जायेगा।
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