Read this news article on
http://www.patrika.com/news/raebareli/raebareli-vidhan-seats-analysis-up-election-2017-1451036/
रायबरेली में आगामी विधानसभा चुनाव 2017 के मद्देनजर जिले की छ: विधानसभाओं में अभी से जिस तरह राजनीतिक उठापटक शुरू हो गयी है, उससे राजनीतिक दलों में घमासान की स्थिति है। राजनैतिक दलों के प्रमुखों को चूंकि सीटें चहिए, इसलिए इस उथल पटल में गैरों पे करम अपनो पे सितम के हालात बनते दिखायी पड़ रहे हैं। ताजे घटनाक्रम पर नजर डाली जाय तो ऊँचाहार, सदर और हरचंदपुर सीटों पर तो उथल पुथल के हालत बने हैं, जबकि बछरावां समेत कुछ अन्य सीटों पर भी आयतित दावेदारों को महत्व दिया जायगा, जबकि पार्टी में जीवन समर्पित करने वालों एक बार फिर ताकते रह जायेंगे। ऊँचाहार विधानसभा में भाजपा के बैनरतले चुनाव लडऩे वाले नेताओं ने प्रचार प्रसार में भले ही लाखों रूपये बरबाद करके लम्बा समय बर्बाद किया, लेकिन बसपा छोड़कर भाजपा में आने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने आशाओं पर पानी फेर दिया। हो न हो देर सबेर इस सीट पर मौर्य की मंशा ही असरदार रहेगी। यदि ऐसा हुआ तो यही माना जायगा कि पार्टी ने बाहरी लोगों को महत्व दिया और अपनों को सिर्फ जयकार के लिए स्थान दिया। सदर विधानसभा क्षेत्र में जिन दावेदारों ने रायबरेली से दिल्ली तक दौड़ भाग की। हजारों लाखों रूपये प्रचार में खर्च किया, समय बरबाद किया। अंतत: उन्हें निराशा हाथ लगी और नेतृत्व ने सीट की वजह से अपनों का दिल तोड़ दिया। प्रबल दावेदार मन भसोसकर रह गये और यहां भी उक्ति कहावत चरितार्थ हुई। अन प्रत्याशियों की स्थिति सांप छछूंदर जैसी है कि न कुछ कर सकते हैं, न बोल सकते हैं क्योंकि अब उनके समय पार्टी जिंदाबाद कहने के अलावा कुछ नहीं है। हरचंदपुर सीट पर भी उलटफेर हुआ। यहां स्व.पूर्व विधायक शिवगणेश लोधी ने कांग्रेस कया छेाड़ी कि दोनों पार्टियों में दुश्चिन्ताा घर कर गयी। भाजपा में शामिल होने से शिवगणेश व भाजपा तो गद्गद हैं लेकिन लम्बे समय से भाजपा में निष्ठा जताने वालों के दिल पर पार्टी के इस निर्णय ने वज्रपात कर दिया। इस सीट पर भाजपा के कई लड़ाकू कील कांटा दुरूस्त करने में जुटे हुए थे, लेकिन ताजे घटनाक्रम ने इन पर तुषारापात कर दिया। इन लड़ाकुओं व समर्थकों ने हालांकि अभी खामोशी अख्तियार कर लिया है लेकिन चुनावी मौके पर अगर इन सबने पार्टी के प्रति अपनी सेवाओं का मूल्यांकन किया तो स्थिति विषम हो सकती है। इसी सीट पर कांग्रेस के समक्ष भी धर्मसंकट है। जो जिताऊ दावेदार पार्टी छोड़ गया, उसकी भरपाई भी कठिन लग रही है, क्योंकि जिसके लिए यह स्थिति बनी है, उसकी राह में तमाम रोड़े आ सकते है जो कांग्रेस के लिए नुकसान का प्रतीक होगा। सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि कांग्रेस में हम के नाम पर ब्राह्मण व मुस्लिम वर्ग से जिस तरह दावेदारी का दावा ढोंका गया था, वह सब चकनाचूर हो गया। लगने लगा कि इन दोनों वर्गों पर किसी को भी कांग्रेस महत्व नहीं देगा,क्योकि हरचंदपुर विधान सभा से कांग्रेस एक ब्राह्मण चेहरे को लेकर आजकल जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि दो आरक्षित सीटों को अलग कर दिया जाय तो बाकी चार सीटों सरेनी, ऊँचाहार, हरचंदपुर और सदर में कांग्रेस क्षत्रिय व एक पर ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने का मन बना चुकी है। राजनीतिक पंडितों का मनना है कि जैस-जैसे चुनावी समय नजदीक आयेगा, उथल पथल तेज होगी। अभी ऊँचाहार में एक और फेरबदल होने के संकेत है। जबकि बछरावां में बसपा ने जिस व्यक्ति को अलग करके दूसरे को टिकट दिया, वह व्यक्ति पार्टी को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। रही बात सरेनी की तो वहां फिलहाल बड़ी खामोशी है। अगर एक पूर्व विधायक ने भाजपा से अपनी बेटे को मैदान में उतार दिया तो सारे समीकरण ध्वस्त हो सकते हैं और अभी से प्रचार प्रसार में जुटे दावेदारों को मुंह की खानी पड़ सकती है। बहरहाल अभी चुनाव के लिए लम्बा समय है। दावेदार टिकट के लिए रायबरेली से लखनऊ और दिल्ली की परिक्रमा में जुटे हैं, नतीजा क्या निकलता हे, यह वक्त बतायेगा।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें