रायबरेली में फर्जी बिल बनाकर लाखों रुपए की आनलाइन ठगी करने वाले बिहार राज्य के चार शातिर ठगों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, एसपी आलोक प्रियदर्शी ने बताया
रायबरेली में फर्जी बिल बनाकर लाखों रुपए की आनलाइन ठगी करने वाले बिहार राज्य के चार शातिर ठगों को पुलिस ने दबोचा
रायबरेली में इन दिनों साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं इसी बीच पुलिस के हत्थे बिहार राज्य का एक ऐसा ठग गिरोह हत्थे चढ़ा जो की शातिराना अंदाज से फर्जी वेबसाइट से बिल बनाकर ग्राहकों को लाखों रुपए का चूना लगा देता था।
एसपी आलोक प्रियदर्शी ने ठगों के कारनामों का खुलासा करते हुए बताया कि पकड़े गए ठग बिहार राज्य के भोजपुर व पटना जिले के निवासी हैं ठगों ने जिले के एक युवक से फर्जी वेबसाइट के जरिए बिल जारी कर 8 लाख रुपए की आनलाइन ठगी की थी जिसकी तहरीर पर धोखाधड़ी सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस को काफी दिनों से इन शातिर ठगों की तालाश थी पकड़े गए ठगों के पास से 9 लाख 25 हजार रूपए नगद व चार एंड्रॉयड फोन बरामद हुए है।
फर्जी वेवसाइट व बिल बनाकर आनलाइन ठगी करने वाले 4 शातिर अपराधी,ठगी के 9 लाख 25 हजार रुपये सहित गिरफ्तार
19 जून 2023 को वादी प्रदीप कुमार बाजपेई पुत्र श्यामनारायण बाजपेई निवासी चन्द्रिका नगर कस्बा व थाना बछरावां द्वारा लिखित तहरीर देकर बताया गया कि उसने GI WIRE की सप्लाई हेतु जस्ट डायल वेबसाइट पर सर्च किया था उसके बाद अजीत तुरहा नामक व्यक्ति ने मुझे बताया कि मेरी कम्पनी सन इन्फ्रा जोकि पटना बिहार से संचालित हो रही जिससे GI WIRE की सम्पूर्ण भारत में सप्लाई करता हूं । इस बात पर विश्वास करके वादी ने अजीत तुरहा द्वारा दिये गये बैंक खाते में 8 लाख रुपये भेज दिये गये, परन्तु डिलीवरी प्राप्त न होने पर जब सम्पर्क करने का प्रयास किया तो फोन नहीं उठाया और फिर नम्बर स्वीच आफ बताने लगा । प्राप्त तहरीर पर थाना बछरावां पर कई धाराओं में मुकदमा लिखा गया और जांच की गई थी।
*अपराध का तरीकाः-
सभी अभियुक्तगण से गहनता से पूछताछ करने पर मुख्य अभियुक्त रवि सिंह ने बताया कि हम लोगों ने जस्ट डायल की बेबसाइट पर सृष्टि इंटरप्राइसेस, सन इन्फ्रा, नीरज ट्रेडर्स, ओमशक्ति आदि नामों से लोहे के तार, कील व अन्य सामान बेचने हेतु फ्री सब्सक्रिप्शन ले रखा था जैसे ही कोई ग्राहक जस्ट डायल पर इन चीजों की सर्च करता है उसका मोबाइल नम्बर मिल जाता है। फिर हम लोग ग्राहकों को उसके नम्बर पर काल करके उनको आवश्यक सामग्री की जानकारी करके उसका बिल बनाकर उन्हें भेज देते हैं। उसके बाद ट्रांसपोर्टेशन का बिल बनाकर भेज देते है। सारे फर्जी कागजात व बिल बिल्कुल असली की तरह बनाकर भेजे जाते है जिससे कि ग्राहक को कोई शक न हो तथा बिल के रुपयों को हम लोग ग्राहकों से अपने खातों में डलवा लेते थे । इस प्रकार ठगी करने के बाद हमलोग अपने मोबाइल के फर्जी सिम को तोड़कर फेंक देते थे तथा मोबाइल से पूरा डाटा डिलीट कर देते थे।
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