‘एक जो फूल दिया था कभी अकेले में, मेरे वीराने में वो आज भी महकता है’
बिन्दागंज महोत्सव में हुआ कवि सम्मेलन का आयोजन, देर रात तक बही काव्य सरिता
रायबरेली। जगतपुर थाना क्षेत्र के अन्तर्गत स्थित बिन्दागंज बाजार में बिन्दागंज महोत्सव का आयोजन किया गया। महोत्सव में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि सलोन के भाजपा विधायक दल बहादुर कोरी ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यर्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में भाजपा जिलाध्यक्ष दिलीप यादव, भाजपा जिला महामंत्री देवेन्द्र ‘दीपक’ और भाजपा के गौरा मंडल अध्यक्ष अवधेश जायसवाल मौजूद रहे।
मुख्य अतिथि विधायक दल बहादुर कोरी ने कहा कि आज दौर में साहित्य पथ प्रदर्शन का बड़ा काम कर रहा है। सरस्वती पुत्र देश को दिशा दिखाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कविता सच्चाई बयां करती है। बिन्दागंज जैसे क्षेत्र नौटंकी के लिए काफी मषहूर हैं लेकिन पहली बार इस तरह का साहित्यिक आयोजन यहां हुआ जो सराहनीय है। विशिष्ट अतिथि भाजपा जिलाध्यक्ष दिलीप यादव और भाजपा जिला महामंत्री देवेन्द्र ‘दीपक’ ने कहा कि राजनीति जब-जब लड़खाती है तब-तब कविता उसे थाम लेती है। कवि देश की विसंगतियों पर अपनी रचनाओं से प्रहार कर उसके समाधान का उपाय बताते हैं। मंडल अध्यक्ष अवधेश जायसवाल ने कहा कि प्रतिवर्ष ऐसे आयोजन होने चाहिए। उन्होंने आयोजक मंडल को भरोसा दिलाया कि हर साल कवि सम्मेलन हो वह हर मदद को तैयार हैं। कवि सम्मेलन की शुरूआत कवियत्री नेहा सोनी की वाणी वंदना से हुई। इसके बाद अभिषेक ‘अंकुर’ ने अपनी रचना में ‘रास्ता यदि किसी को बता न सको, बेवजह ऊंगलियां न उठाया करो’ पढ़ा। प्रतापगढ़ के ओज कवि अंजनी ‘अमोघ’ ने अपनी रचना-‘धरा से उठो तुम गगन चूम लो, तिरंगे से लिपटा बदन चूम लो’ पढ़कर देशभक्ति का संचार कर दिया। हास्य कवि जमुना प्रसाद पाण्डेय ‘अबोध’ ने हास्य कविता में ‘जवानी कै प्यार किलकिलात बहुत है, बुढापे कै प्यार गुलगलात बहुत है। जवानी के प्यार का केहू नहीं जानत, बुढ़ापे कै प्यार चिल्लात बहुत है।।’ पढ़कर खूब हंसाया। उत्तर भारत के प्रसिद्ध गीतकार निर्मल प्रकाश श्रीवास्तव ने ‘राजनीति का रंग आज कल काला होता है, राजनीति मे भाई भतीजा साला होता है’ पढ़कर मौजूदा राजनैतिक परिद्रश्य को रेखांकित किया। ‘एक जो फूल दिया था कभी अकेले में, मेरे वीराने में वो आज भी महकता है’ गीत से उन्होंने मंच लूट लिया। सरेनी के युवा ओज कवि शिवतोष ‘संघर्षी’ ने ‘दुश्मन चित हो जाये पल में होती पल भर देर नहीं, शेर बहुत देखे है हमने पर मोदी जैसा शेर नहीं’ कविता पढ़कर खूब तालियां बटोरी। कवियत्री ‘नाजुक’ कोमल ने अपनी गज़ल में ‘दर्द दिल में है छिपा जश्न मनाया जाए, रोने वालों को चलो आज हंसाया जाए’ पढ़कर वाहवाही लूटी। कानपुर के हास्य कवि प्रभाकर मिश्र ने ‘उल्टे हो रहे सारे काम, त्राहिमाम, त्राहिमाम’ से लोगों को गुदगुदाया। कवियत्री नेहा सोनी ने अपनी गंभीर रचना-‘कुछ सागर की लहरें उछले, कुछ शैल शिखर पिघले, तब शायद हम-तुम जीवन में जाकर कहीं मिले’ पढ़कर श्रोताओं के दिल का दर्द जुबान पर ला दिया। हास्य के बहुप्रसिद्ध कवि मधुप श्रीवास्तव ‘नरकंकाल’ ने अपनी रचना ‘मोहब्बत मे इस कदर हम मटियामेट हो गये, माशूका की शादी हो गयी, हम दो दिन लेट हो गये। वो आज भी लगती है ताजमहल यारो, एक हम है कि फैल कर चाइना गेट हो गये’ से लोगों को हंसा-हंसाकर पेट र्द करा दिया। कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे अनुज अवस्थी ने ‘नेह जब-जब नमी से डरता हो, प्यार अपनी कमी से डरता हो। जिन्दगी मुस्कुराएगी कैसे, जब आदमी-आदमी से डरता हो’ पढ़कर रिश्तों को टटोलने की कोशिश की। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे बृजेश श्रीवास्तव ‘तनहा प्रतापगढ़ी’ ने ‘फैशन मा फस्ट मगर भोजन मा फेल, सब्जी मा छेउक दियै मिट्टी कै तेल’ पढ़कर अंत में खूब हंसाया। इनके अलावां संदीप ‘शरारती’, मजीद ‘रहबर’, अनिल मिश्रा, आकाश ‘अधूरा’ आदि ने भी अपना काव्य पाठ किया। अंत में कवि सम्मेलन के संयोजक दीपेन्द्र श्रीवास्तव ने सभी का आभर प्रकट किया। इस मौके पर विवेक जायसवाल, राजेश मोदनवाल, डा. मिश्रा, सुरेन्द्र दुबे, अशोक सिंह, आशीष, सत्येन्द, गुलाब, तोमू, रामसजीवन, नीरज, सचिन, अनुराग, इन्द्रजीत यादव आदि मौजूद रहे। गोलू गुप्ता, इबादुल, गुफरान, शंकर गुप्ता, अबूबकर आदि भारी संख्या मे लोग मौजूद रहे।
बिन्दागंज महोत्सव में हुआ कवि सम्मेलन का आयोजन, देर रात तक बही काव्य सरिता
रायबरेली। जगतपुर थाना क्षेत्र के अन्तर्गत स्थित बिन्दागंज बाजार में बिन्दागंज महोत्सव का आयोजन किया गया। महोत्सव में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि सलोन के भाजपा विधायक दल बहादुर कोरी ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यर्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में भाजपा जिलाध्यक्ष दिलीप यादव, भाजपा जिला महामंत्री देवेन्द्र ‘दीपक’ और भाजपा के गौरा मंडल अध्यक्ष अवधेश जायसवाल मौजूद रहे।
मुख्य अतिथि विधायक दल बहादुर कोरी ने कहा कि आज दौर में साहित्य पथ प्रदर्शन का बड़ा काम कर रहा है। सरस्वती पुत्र देश को दिशा दिखाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कविता सच्चाई बयां करती है। बिन्दागंज जैसे क्षेत्र नौटंकी के लिए काफी मषहूर हैं लेकिन पहली बार इस तरह का साहित्यिक आयोजन यहां हुआ जो सराहनीय है। विशिष्ट अतिथि भाजपा जिलाध्यक्ष दिलीप यादव और भाजपा जिला महामंत्री देवेन्द्र ‘दीपक’ ने कहा कि राजनीति जब-जब लड़खाती है तब-तब कविता उसे थाम लेती है। कवि देश की विसंगतियों पर अपनी रचनाओं से प्रहार कर उसके समाधान का उपाय बताते हैं। मंडल अध्यक्ष अवधेश जायसवाल ने कहा कि प्रतिवर्ष ऐसे आयोजन होने चाहिए। उन्होंने आयोजक मंडल को भरोसा दिलाया कि हर साल कवि सम्मेलन हो वह हर मदद को तैयार हैं। कवि सम्मेलन की शुरूआत कवियत्री नेहा सोनी की वाणी वंदना से हुई। इसके बाद अभिषेक ‘अंकुर’ ने अपनी रचना में ‘रास्ता यदि किसी को बता न सको, बेवजह ऊंगलियां न उठाया करो’ पढ़ा। प्रतापगढ़ के ओज कवि अंजनी ‘अमोघ’ ने अपनी रचना-‘धरा से उठो तुम गगन चूम लो, तिरंगे से लिपटा बदन चूम लो’ पढ़कर देशभक्ति का संचार कर दिया। हास्य कवि जमुना प्रसाद पाण्डेय ‘अबोध’ ने हास्य कविता में ‘जवानी कै प्यार किलकिलात बहुत है, बुढापे कै प्यार गुलगलात बहुत है। जवानी के प्यार का केहू नहीं जानत, बुढ़ापे कै प्यार चिल्लात बहुत है।।’ पढ़कर खूब हंसाया। उत्तर भारत के प्रसिद्ध गीतकार निर्मल प्रकाश श्रीवास्तव ने ‘राजनीति का रंग आज कल काला होता है, राजनीति मे भाई भतीजा साला होता है’ पढ़कर मौजूदा राजनैतिक परिद्रश्य को रेखांकित किया। ‘एक जो फूल दिया था कभी अकेले में, मेरे वीराने में वो आज भी महकता है’ गीत से उन्होंने मंच लूट लिया। सरेनी के युवा ओज कवि शिवतोष ‘संघर्षी’ ने ‘दुश्मन चित हो जाये पल में होती पल भर देर नहीं, शेर बहुत देखे है हमने पर मोदी जैसा शेर नहीं’ कविता पढ़कर खूब तालियां बटोरी। कवियत्री ‘नाजुक’ कोमल ने अपनी गज़ल में ‘दर्द दिल में है छिपा जश्न मनाया जाए, रोने वालों को चलो आज हंसाया जाए’ पढ़कर वाहवाही लूटी। कानपुर के हास्य कवि प्रभाकर मिश्र ने ‘उल्टे हो रहे सारे काम, त्राहिमाम, त्राहिमाम’ से लोगों को गुदगुदाया। कवियत्री नेहा सोनी ने अपनी गंभीर रचना-‘कुछ सागर की लहरें उछले, कुछ शैल शिखर पिघले, तब शायद हम-तुम जीवन में जाकर कहीं मिले’ पढ़कर श्रोताओं के दिल का दर्द जुबान पर ला दिया। हास्य के बहुप्रसिद्ध कवि मधुप श्रीवास्तव ‘नरकंकाल’ ने अपनी रचना ‘मोहब्बत मे इस कदर हम मटियामेट हो गये, माशूका की शादी हो गयी, हम दो दिन लेट हो गये। वो आज भी लगती है ताजमहल यारो, एक हम है कि फैल कर चाइना गेट हो गये’ से लोगों को हंसा-हंसाकर पेट र्द करा दिया। कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे अनुज अवस्थी ने ‘नेह जब-जब नमी से डरता हो, प्यार अपनी कमी से डरता हो। जिन्दगी मुस्कुराएगी कैसे, जब आदमी-आदमी से डरता हो’ पढ़कर रिश्तों को टटोलने की कोशिश की। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे बृजेश श्रीवास्तव ‘तनहा प्रतापगढ़ी’ ने ‘फैशन मा फस्ट मगर भोजन मा फेल, सब्जी मा छेउक दियै मिट्टी कै तेल’ पढ़कर अंत में खूब हंसाया। इनके अलावां संदीप ‘शरारती’, मजीद ‘रहबर’, अनिल मिश्रा, आकाश ‘अधूरा’ आदि ने भी अपना काव्य पाठ किया। अंत में कवि सम्मेलन के संयोजक दीपेन्द्र श्रीवास्तव ने सभी का आभर प्रकट किया। इस मौके पर विवेक जायसवाल, राजेश मोदनवाल, डा. मिश्रा, सुरेन्द्र दुबे, अशोक सिंह, आशीष, सत्येन्द, गुलाब, तोमू, रामसजीवन, नीरज, सचिन, अनुराग, इन्द्रजीत यादव आदि मौजूद रहे। गोलू गुप्ता, इबादुल, गुफरान, शंकर गुप्ता, अबूबकर आदि भारी संख्या मे लोग मौजूद रहे।
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