गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा गुरु नानक नगर व गुरुद्वारा फिरोज गांधी नगर में लोहड़ी का पर्व बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया
"सानू दे लोहड़ी ते तेरी जीवे जोड़ी"
"फिर आ गई भंगड़े दी वारी" "लोहड़ी मनाओ करो तैयारी"
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रायबरेली। गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा गुरु नानक नगर व गुरुद्वारा फिरोज गांधी नगर में लोहड़ी का पर्व बड़े धूमधाम, हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।दोनों गुरुद्वारों के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जगरूप सिंह जी व ज्ञानी गुरविंदर सिंह जी ने अरदास की उपरांत लकड़ियों को अग्नि दी, उसके बाद समाज के नव विवाहित जोड़े व इस वर्ष पहली लोहड़ी मना रहे छोटे-छोटे बच्चों के परिवारो ने गुरुद्वारे में मत्था टेक कर लकड़ियों में लगी अग्नि में परिक्रमा की और उसमें मूंगफली,मकई के दाने,रेवड़ी समर्पित किए।
बैसाखी मेले की तरह लोहड़ी का पर्व फसल से है, इस त्यौहार के समय गेहूं ,सरसों,और छोला जैसी फसलें लहराती है। लोहड़ी की कोई धार्मिक कहानी नहीं है बल्कि वीर योद्धा दूल्हा भट्टी की कहानी पर है।
दुल्ला भट्टी मुगलों के समय एक बहादुर योद्धा थे जो मुगलों के आतंक के खिलाफ थे ।
कहा जाता है कि उन्हीं के इलाके के ब्राह्मण समाज की दो लड़कियां सुंदरी और मुंदरी के साथ इलाके का मुगल शासक जबरन शादी करना चाहता था,लेकिन लड़कियों की दूसरी जगह सगाई हो चुकी थी और लड़के वाले आतंकी मुगल शासक के डर से शादी के लिए तैयार नहीं थे, इस समय दुल्ला भट्टी ने ब्राह्मण की मदद की और एक जंगल में जाकर आग लगाकर दोनों लड़कियों को कन्यादान कर शादी करवाई,कहा जाता है कि उस समय शगुन के तौर पर दूल्हा भट्टी ने शक्कर दी थी।
जुर्म के खिलाफ मानवता की सेवा को याद कर दूल्हा की जीत को लोहड़ी के रूप में मनाते हैं।
पंजाब में लोहड़ी का संबंध नए जन्मे बच्चों के साथ भी है,लोहड़ी की पवित्र अग्नि में तिल, मूंगफली, रेवड़ी, डालकर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया जाता है। लोहड़ी पर लोग दूसरों को बधाई संदेश देते हैं वह गीत गाते हैं। जैसे
"फिर आ गई भंगड़े दी वारी" "लोहड़ी मनाओ करो तैयारी"
अग दे कोल सारे आओ ' सुन्दर -मुंद्रीये जोर नाल गांओ' व 'मूंगफली दी खूसबू- ते गुड़ दी मिठास'
' मक्के दी रोटी - ते सरसों दा साग'
' दिल दी खुशी- ते अपने दा प्यार'
'बधाइयां होन तुहानू - लोहरी दा त्योहार'
और सबसे प्रचलित गीत -सुंदर मुंद्रीये होए,
तेरा कौन विचारा होए,
दूल्हा भट्टी वाला होए, धुले दी धीय व्याही होए, शेर शक्कर पाई होय, कुड़ी दा लाल पटाखा होय,
कुड़ी दा सालु पाट्टा होय, सालु कौन समेटे होए,
चाचे चूरी कूटी होए, जमीदारा लूटी , जमीदार सुधार ,
बड़े भोले आए होए
'एक भोला रह गया 'सिपाही पकड़ के ले गया
सिपाही ने मारी ईट
सानू दे लोहड़ी
ते तेरी जीवे जोड़ी
पावे रो ते पावे पिट
होय ए ए ए ए ऐ होय,,
गुरुद्वारा साहिब में प्रमुख रूप से सुरेंद्र सिंह मोंगा,जोगिंदर सिंह अरोड़ा,अवतार सिंह छाबड़ा,त्रिलोचन सिंह नरूला, परमजीत सिंह गांधी सभासद,गुरजीत सिंह तनेजा,दलजीत सिंह,हरविंदर सिंह सलूजा,जसवंत सिंह मोंगा,गुरमीत सिंह,गुरभेज सिंह, निरवैर सिंह ,आदि उपस्थित थे।
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