इतिहास के पन्नों में खो रहीं धरोहरें
रायबरेली। विश्व धरोहर दिवस तो हम हर साल मनाते हैंए लेकिन उसका मकसद अभी अधूरा है। वीआईपी जिले में अपनों की बेरुखी से जिले की शान मिट रही है। जिनके नाम से जिला जाना जाता हैए उनका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। चाहे फिर सरकार हो या फिर जिला प्रशासन के अधिकारी और जनप्रतिनिधि। सबकुछ जानकर अंजान बने हैं। कभी धन भी आता हैए लेकिन इन धरोहरों की मरम्मत के बजाय उसका घालमेल किया जाता है।
सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में कई ऐसी धरोहरें हैंए जो जिले की पहचान हैं। इसमें शहर में शहीद स्मारकए रेवती राम तालाब और डलमऊ नगरी में जनानाघाट और पक्का घाट। उपेक्षा की वजह से ये धरोहरों की हालत खस्ताहाल है। शहीद स्मारक में गंदगी फैली है। मरम्मत के अभाव में शहीद स्मारक जर्जर हो रहा है। अब बात बड़ा कुआं की जाए तो वह भी बदहाल पड़ा है। हालात ये हैं कि शहर का कूड़ा इसी कुएं में फेंका जाता है। बड़ा कुआं को कई बार पर्यटन स्थल का रूप देने के लिए नागरिकों ने आवाज उठाईए लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारी और सरकारए जनप्रतिनिधियों ने ध्यान नहीं दिया। डलमऊ नगरी के जनानाघाट और पक्का घाट का भी यही हाल है। इससे जाहिर है कि विश्व धरोहर दिवस जिस मकसद के लिए मनाया जाता हैए वह पूरा नहीं हो सका है।
रायबरेली। विश्व धरोहर दिवस तो हम हर साल मनाते हैंए लेकिन उसका मकसद अभी अधूरा है। वीआईपी जिले में अपनों की बेरुखी से जिले की शान मिट रही है। जिनके नाम से जिला जाना जाता हैए उनका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। चाहे फिर सरकार हो या फिर जिला प्रशासन के अधिकारी और जनप्रतिनिधि। सबकुछ जानकर अंजान बने हैं। कभी धन भी आता हैए लेकिन इन धरोहरों की मरम्मत के बजाय उसका घालमेल किया जाता है।
सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में कई ऐसी धरोहरें हैंए जो जिले की पहचान हैं। इसमें शहर में शहीद स्मारकए रेवती राम तालाब और डलमऊ नगरी में जनानाघाट और पक्का घाट। उपेक्षा की वजह से ये धरोहरों की हालत खस्ताहाल है। शहीद स्मारक में गंदगी फैली है। मरम्मत के अभाव में शहीद स्मारक जर्जर हो रहा है। अब बात बड़ा कुआं की जाए तो वह भी बदहाल पड़ा है। हालात ये हैं कि शहर का कूड़ा इसी कुएं में फेंका जाता है। बड़ा कुआं को कई बार पर्यटन स्थल का रूप देने के लिए नागरिकों ने आवाज उठाईए लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारी और सरकारए जनप्रतिनिधियों ने ध्यान नहीं दिया। डलमऊ नगरी के जनानाघाट और पक्का घाट का भी यही हाल है। इससे जाहिर है कि विश्व धरोहर दिवस जिस मकसद के लिए मनाया जाता हैए वह पूरा नहीं हो सका है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें