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रायबरेली में एक डाक्टर की सेवा ,जांच न दवा, सिर्फ नब्ज पकड़कर बीमारी का पता लगाना

कोई फीस नही स्वेच्छा से जो भी मिला, बस उतने में संतोश किया। 

उत्तर प्रदेष की योगी सरकार जहां मोदी सरकार की योजनाओं को प्रदेष के प्रत्येक जिले में आर्युवेदिक चिकित्सा को लेकर काफी उत्साहित दिखाई पड़ रही है। और उनका कहना भी ठीक है कि हमारे देष पुरानी पद्धति को आर्यवेदिक हो या प्राकृतिक चिकित्सा लोगों में काफी महात्व रखती है और इससे नुकसान कम फायदा ज्यादा होता है। और खर्चा भी काफी कम पड़ता हैं। इसी प्राकृतिक चिकित्सा को रायबरेली जिले में एक डाक्टर भगवानदीन यादव जी है जो काफी वर्शो से इस जिले में ही नही कई अन्य जिलों में भी निषुल्क सेवा भाव करते आ रहे है। जहां पर न जाने कितनी जनता और कितने अधिकारियों जो सभी पेषों से जुडे़ रहे है। यहां तक कि जिला अस्पताल के डाक्टर और सीएमओ और न्याय विभाग के न्यायधीष भी इनकी चिकित्सा पद्धति से इलाज कराकर फायदा लिया है।
  
 जांच न दवा, सिर्फ नब्ज पकड़कर बीमारी का पता लगाना 

 एक्यूपेषर के जरिये स्वास्थ्य लाभ देना 
कोई फीस नही स्वेच्छा से जो भी मिला, बस उतने में संतोश किया। 




यही है डाक्टर भगवानदीन यादव की पहचान।

वर्श 1996 से रायबरेली  मे सक्रिय डाक्टर भगवानदीन पूर्व में संस्थागत विद्यालय में बाबू के पद पर तैनात रहे। बारांबकी मेे नौकरी के दौरान इन्हें भयंकर कमर दर्द हुआ। एलोपैथिक इलाज से लाभ नहीं मिला तो इन्होने एक्चूप्रेषर पद्धति से अपना इलाज कराया। तीन माह में ये बिलकुल ठीक हो गए। इसके बाद उन्होने एक्यूपेषर को आत्मसात कर लिया। इलाहाबाद में एक्यूपे्रषर थेरेपी में डिप्लोमा करने के बाद पहले बाराबंकी फिर लखनउ और आखिर में अपने पैत्रक जिला रायबरेली आ गए । यहां अब तक उन्होने 50 से ज्यादा कैंप लगाकर पांच हजार से ज्यादा मरीजों को बिना दवा के ठीक किया। उनकी सेवा भाब से प्रभावित होकर प्रभावषाली लोगों ने उन्हें कैंप लगाने के लिए जगह उपलब्ध करायी । यहां तक कि एक अधिकारी ने कलेक्ट्रेट में उन्हें तीन माह तक कैंप लगाने की अनुमति दे दी। उन्हीं से यह कला सीखकर आधा सैकड़ा से ज्यादा लोग निःषुल्क समाज सेवा कर रहे है।

फीस न दवा, बस लोगों का इलाज

डाक्टर भगवानदीन एक्यूपेषर थेरेपी से मरीजों का इलाज करते है। मरीज की नब्ज टटोल कर उसकी बीमारी जान लेते है। फिर उस बीमारी को दूर करने के लिए षरीर के ही किसी खास अंग पर चुंबक , मेथी दाना या लकडी से प्रेषर देकर मरीज का इलाज षुरु करते है। महज तीन से चार दिन में फायदा मिलना षुरु हो जाता है और कुछ समय बाद ही उस बीमारी से पूरी तरह निजात भी मिल जाता है।

इन्हे मिला स्वास्थ्य से लाभ

रायबरेली के जिला जज जकीउल्ला खां सीने में दर्द से परेषान रहते थे। उन्हे इस थैरेपी से लाभ मिला। इसके अलावा एडीएम साहब सिंह वर्मा,एएसपी सालिग राम वर्मा, एएसपी अषोक कुमार तिवारी समेत कई अधिकारियो, कर्मचारियों व नेताओं का इलाज किया जा चुका है। यहां सिटी मजिस्ट्रेट रहे ज्वाला प्रसाद को एड़ी में भयंकर दर्द होता था। एक्यूपेषर से एक सप्ताह के भीतर उन्हे फायदा मिला , जिसके बाद उन्होने डाक्टर भगवानदीन को कलेक्ट्रेट में ही तीन महीने का कैंप लगाने की अनुमति दे दी।  इस कैंप में कलेक्ट्रेट परिसर में कार्यरत अधिकारियों, कर्मचारियों व अधिवक्ताओं ने बढ ़चढ़कर भागीदारी की और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया।

पूर्व विधायक के घर किया इलाज

लगभग 17 साल पहले सरेनी के पूर्व  विधायक सुरेन्द्र बहादुर सिंह के घर तेजगांव  में उन्होने एक्यूपेषर का कैंप लगा। नौ दिन में नौ सौ से ज्यादा लोगों का इलाज किया गया। कैंप में मरीजों को इलाज की तकनीक भी बतायी गयी ताकि भविश्य में दिक्कत होतो वे स्वयं अपना इलाज बिना दवा के कर सके।

और उठ खड़ी हुई बबली

सत्य नगर निवासी बबली यादव स्लिप डिस्क और साइटिका के चलते चल नही पाती थी। दो दिन घर पर इलाज हुआ तो बबली में पैदल चलने की हिम्मत आयी। वह तीन महीने तक लगातार रिफार्म क्लब  आकर उपचार कराती रही।  अब वह बिल्कुल ठीक है।

सेवाभाव करने से मिलती है खुषी और जनता से मिलता है मिला लाभ

डाक्टर  भगवानदीन बताते है कि मै केवल इस षहर में सेवाभाव कर रहा हूं और ये चिकित्सा निःषुल्क कर रहा हूं। और रिफार्म क्लब में जो जगह मुझे दी गई है वह अधिवक्ता षंकर लाल गुप्ता ने उन्हे उपलब्ध करायी है। अधिवक्ता की कोहनी और कंधे में कई वर्शो से दर्द रहता था, जोकि एक्यूपेषर से ठीक हो गया। इसके अलावा दीवानी न्यायालय, गायत्री षक्तिपीठ, प्रेसक्लब व धार्मिक स्थलों में भी उनके निषुल्क कैंप लगाए जा रहे हैं। 

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