रायबरेली लालगंज बैसवारा क्षेत्र के चांदा ग्राम निवासी गब्बर सिंह का नाम उत्तर प्रदेश बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ था। इस बात की जानकारी देते हुए चित्रकार गब्बर सिंह ने बताया कि बीते 15 अगस्त 2016 को 60 घंटे की अथक परिश्रम के बाद उन्होंने देश की शान तिरंगे की कलाकृति व चावल के दानों से थर्माकोल पर उकेरी थी। यही नही जल दिवस पर भी एक कलाकृति और बनाई थी जिसका स्लोगन था ’ जल है तो कल है ’इस तरह कई अवार्ड और न जाने कितनेे जगह उनको सम्मानित भी किया जा चुका है।
लालगंज बैसवारा क्षेत्र के चांदा ग्राम निवासी गब्बर सिंह का नाम उत्तर प्रदेश बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ था। कहते है ज्ञान और ज्ञानी का जन्म कब और कहा हो जाये ये पता नही चलता है। फिर चाहे वह गरीब का घर हो या धनवान का ये महात्व नही रखता है। इसी तरह ये लालगंज के रहने वाले गब्बर सिंह एक गरीब परिवार से तालुक रखते है। और इन्होने उस गरीबी में भी अपने को एक अलग मुकाम देने की कोषिष की है। और अगर इसको सरकार और किसी समाज सेवी लोगों से कोई आर्थिक मदद मिल गयी तो यह कलाकार आगे चलकर दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम रोषन कर सकता है।
गब्बर सिंह से बात की तो चित्रकार गब्बर सिंह ने बताया कि बीते 15 अगस्त 2016 को 60 घंटे की अथक परिश्रम के बाद उन्होंने देश की शान तिरंगे की कलाकृति व चावल के दानों से थर्माकोल पर उकेरी । उन्होंने तिरंगे को बनाने में 14440 चावल के दानों का प्रयोग किया जिसको कई समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था । गब्बर सिंह में अपनी इस प्रतिभा को कई जगह रिकॉर्ड दर्ज करवाने के लिए आवेदन किया था। जिनमें उत्तर प्रदेश बुक ऑफ रिकॉर्ड पुस्तक में उनका यह कीर्तिमान दर्ज कर उन्हें पुस्तक के संपादक प्रमोद कुमार गुप्ता ने प्रमाणपत्र मेडल डाक द्वारा भेजा था। उन्होंने बताया कि इस रिकॉर्ड का को उत्तर प्रदेश बुक ऑफ रिकॉर्ड की वेबसाइट पर ही डाला गया है। सोशल मीडिया के जरिए देश की जानी मानी हस्ती कवि डॉक्टर सुनील जोगी, कवि चंदन राय डॉक्टर राकेश वैद, लिम्का बुक होल्डर, हरिमोहन सिंह ऐठानी, मैथ जीनियस उत्तराखंड , आदि ने गब्बर सिंह की प्रतिभा को सलाम किया । बैसवारा क्षेत्र के गब्बर सिंह द्वारा उत्तर प्रदेश बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना कीर्तिमान स्थापित करने पर बैसवारा विकास समिति के प्रवक्ता आशीष प्रताप सिंह, लालगंज बैसवारा महोत्सव समिति कार्यकारणी अध्यक्ष एस.एन. सिंह, सचिव राघवेन्द्र सूर्यवंषी, आदि ने बधाई दी थी।
नवोदित चित्रकार ने विश्व जल दिवस चावल के वन 11811 से एक नई कलकृति बनाकर जल संरक्षण के लिए एक बेहतर संदेश दिया था।
चांदा गांव निवासी गब्बर सिंह ने विश्व जल दिवस पर थर्माकोल सीट पर 11811 चावल के दानों से ’जल है तो कल है‘ की कलाकृति बनाई थी। उन्होंने बताया कि इस कलाकृति को बनाने में उन्हें करीब 50 घंटे का वक्त लगा था। इस कलाकृति को गांव के लोगो ने खूब सराहना की समाजसेवी केसी गुप्ता ने इस प्रयास के लिए गब्बर सिंह को सम्मानित करने की घोषणा भी की है।
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