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रायबरेली गांव में जर्मनी के दूल्हा और दुल्हन अपने बच्चो के सामने की शादी

सरे जहां से अच्छा हिंदुस्तां  हमारा  इससे खूबसूरत  मुल्क कोई और नही । तभी तो यहां के नीति रिवाजजो देखता हैं, वह अपना दिल दे बैठता है। नदियां फूल पहाड़ और पुरातन धरोहरों को देखने और आने वाले पर्यटक भी यहां की संस्कृति में ऐसे खो जाते है समानो उन पर कोई जादू हो गया हो। ऐसी ही एक नई कहानी रायबरेली के अमांवा ब्लाक के मुराई का पुरवा गांव में जन्म लेगी। यहां जर्मनी के दुल्हे राजा को वहीं की दुल्हनियां जयमाला पहनाएगी। मंडप विषुद्ध रुप से भारतीय छाप वाला होगा। हिंदू रीति रिवाज से पंडितजी सात फेरे दिलाकर विवाह संपन्न कराएंगे। दावत में करीब दो सौ लोग विभिन्न पकवान छकेगें । तैयारियां पूरी कर ली गई हैं  आज षुभ लग्न में दोनों का विवाह कार्यक्रम संपन्न कराया जाएगा। करीब 55 वर्श  के डबल्यू लंेजर वाल्प लांग और 45 साल की एंड्रिया वाल्प लांग पहले से ही षादीषुदा है । षादी के प्रमुख गवाह उनके दो पुत्र डेविड और ओलिवर के साथ सही 14 साल की छोटी बेटी एल्विन भी होगी। इसलिये चर्चा में है मुराई का पुरवा षहर  से करीब दस किलोमीटर दूर स्थित अमावां ब्लाक इस वक्त चर...

रायबरेली में एक डाक्टर की सेवा ,जांच न दवा, सिर्फ नब्ज पकड़कर बीमारी का पता लगाना

कोई फीस नही स्वेच्छा से जो भी मिला, बस उतने में संतोश किया।  उत्तर प्रदेष की योगी सरकार जहां मोदी सरकार की योजनाओं को प्रदेष के प्रत्येक जिले में आर्युवेदिक चिकित्सा को लेकर काफी उत्साहित दिखाई पड़ रही है। और उनका कहना भी ठीक है कि हमारे देष पुरानी पद्धति को आर्यवेदिक हो या प्राकृतिक चिकित्सा लोगों में काफी महात्व रखती है और इससे नुकसान कम फायदा ज्यादा होता है। और खर्चा भी काफी कम पड़ता हैं। इसी प्राकृतिक चिकित्सा को रायबरेली जिले में एक डाक्टर भगवानदीन यादव जी है जो काफी वर्शो से इस जिले में ही नही कई अन्य जिलों में भी निषुल्क सेवा भाव करते आ रहे है। जहां पर न जाने कितनी जनता और कितने अधिकारियों जो सभी पेषों से जुडे़ रहे है। यहां तक कि जिला अस्पताल के डाक्टर और सीएमओ और न्याय विभाग के न्यायधीष भी इनकी चिकित्सा पद्धति से इलाज कराकर फायदा लिया है।     जांच न दवा, सिर्फ नब्ज पकड़कर बीमारी का पता लगाना    एक्यूपेषर के जरिये स्वास्थ्य लाभ देना  कोई फीस नही स्वेच्छा से जो भी मिला, बस उतने में संतोश किया।  यही है डाक्टर भगवानदीन ...

नाम गब्बर सिंह है , कलाकार हू , चावल के दानो से पेन्टिंग बनाता हू , नाम लिम्का बुक में दर्ज है

​​रायबरेली लालगंज बैसवारा क्षेत्र के चांदा ग्राम निवासी गब्बर सिंह का नाम उत्तर प्रदेश बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ था। इस बात की जानकारी देते हुए चित्रकार गब्बर सिंह ने बताया कि बीते 15 अगस्त 2016 को 60 घंटे की अथक परिश्रम के बाद उन्होंने देश की शान तिरंगे की कलाकृति व चावल के दानों से थर्माकोल पर उकेरी थी। यही नही जल दिवस पर भी एक कलाकृति और बनाई थी जिसका स्लोगन था ’ जल है तो कल है ’इस तरह कई अवार्ड और न जाने कितनेे जगह उनको सम्मानित भी किया जा चुका है।  लालगंज बैसवारा क्षेत्र के चांदा ग्राम निवासी गब्बर सिंह का नाम उत्तर प्रदेश बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ था। कहते है ज्ञान और ज्ञानी का जन्म कब और कहा हो जाये ये पता नही चलता है। फिर चाहे वह गरीब का घर हो या धनवान का ये महात्व नही रखता है। इसी तरह ये लालगंज के रहने वाले गब्बर सिंह एक गरीब परिवार से तालुक रखते है। और इन्होने उस गरीबी में भी अपने को एक अलग मुकाम देने की कोषिष की है। और अगर इसको सरकार और किसी समाज सेवी लोगों से कोई आर्थिक मदद मिल गयी तो यह कलाकार आगे चलकर दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम रोषन कर सकता है।  ...

अधिकार और सुरक्षा की नई लड़ाई

साइबर सुरक्षा और निजता के अधिकार का मसला देश में एक गंभीर मुद्दा बनकर उभरा है। अब तो सुप्रीम कोर्ट तक यह मामला पहुंच गया है। जाहिर है, इसकी पृष्ठभूमि में आधार कार्ड के डाटा ...