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ऐसे पुलिस वाले करते हैं आम राहगीरों को परेशान,चेकिंग होने से पहले अधिकारियों की सूचना मिल जाती है कार्यालयों के कर्मचारियों को।

रायबरेली। ट्रैफिक पुलिस व्यवस्था को लेकर कई बार ऐसे मामले देखने को मिले जो हकीकत में उत्तर प्रदेश सरकार पर दाग लगाने वाले होते है। चौराहे पर पुलिस खड़ी हो जाती है फिर चाहे वह शहर हो या ग्रामीण और ट्रैफिक पुलिस में देखने को मिलता हैं कि जो हाई प्रोफाइल व्यक्ति होते हैं उनकी ना ही चेकिंग होती है ना ही उनका चालान होता है। लेकिन मिडिल क्लास या गरीब आदमी जब अपनी बाइक से सफर करता है तो उसका चालान तुरंत कर दिया जाता है। जब से ट्रैफिक पुलिस को टेबलेट की डिजिटल चालान करने की सुविधा मिली है तब से ज्यादातर मामले ऐसे देखने को मिलते हैं की कोई गांव का किसान या गरीब व्यक्ति सिंगल हो या दो लोग एक बाइक पर जा रहे हो तो अचानक उसको किस निगाहों से देखते हैं ट्रैफिक पुलिस और फटाक चालान कर देते हैं। डिस्टल का दौर है इसलिए टेबलेट पर बटन दबाते ही एक फोटो खिंचती है और चालान हो जाता है इसके बाद वह व्यक्ति पुलिस से पूछता है साहब मेरा क्या कसूर था कभी-कभी कागज होने के बावजूद भी छोटी सी चीजों को लेकर ट्रैफिक पुलिस चालान काट देती है जो कि मजदूर तबका होता है और अपनी रोजी रोटी के लिए निकलते हैं ।कभी-कभी ट्राफिक पुलिस और सिविल पुलिस चालान के नाम पर खानापूर्ति करती है और किनारे ले जाकर उससे पूछती है भाई यह समस्या है असल में समस्या कुछ और होती है और उस गरीब से कुछ चाय पानी का पैसा ले लेते हैं यह हकीकत है । अगर इस मामले पर किसी अधिकारी को कोई एतराज हो तो वह कुछ दिन के लिए प्राइवेट वर्दी में आम जनता बनकर चौराहों पर खड़ा हो जाए या वह बाइक लेकर चौराहे पर निकलने की कोशिश करें या खड़े होकर इंतजार करें। ऐसे मामले को देखने के लिए तब स्वयं समझ में आएगा अधिकारियों को कि हमारी पुलिस व्यवस्था क्या कारनामे कर रही है। आम जनता के साथ ऐसे मामले न घटित हो इसलिए यह बताने के लिए आज सोचा कुछ लिख दिया जाए। क्योंकि इससे पुलिस प्रशासन की बदनामी ही होती है अधिकारी तो कार्यालय में या चार पहिया वाहन में बैठकर निकल जाते हैं लेकिन सिपाही से लेकर हवलदार और सब इंस्पेक्टर क्या कारनामे करते हैं क्या कभी पुलिस अधिकारियों ने यह सरकार ने इस पर ध्यान दिया है। तभी लोग कहते हैं कि पुलिस अच्छी नहीं होती है । सरकार तो पुलिस मित्रता की बात करती है न्याय दिलाने की बात करती है गलत आदमी को जेल भेजने की बात करती है और सही आदमी को न्याय दिलाने की बात करती है लेकिन हकीकत में समाज में कुछ अलग देखने को मिलता है । इसलिए जिले के पुलिस अधिकारियों को कुछ नजर कुछ समय अपने कर्मचारियों के किए गए कार्यों पर भी ध्यान देना चाहिए तभी समाज और आम जनता को इसका कुछ फायदा मिलेगा अधिकारी थानों में जाकर चेकिंग करते हैं लेकिन पहले से जानकारी हो जाती है कि जिले के पुलिस अधीक्षक या जिलाधिकारी आज जिस जगह की चेकिंग करने जा रहे हैं तो सारे काम पहले से ही चुस्त-दुरुस्त हो जाते हैं इसका कोई फायदा नहीं होता है गलती करने वाला पहले ही वह सब गलत चीजों को छुपाने की कोशिश करता है जिससे वह अपने को सुरक्षित कर सके लेकिन अचानक अधिकारी चेकिंग करेंगे तो थानों से लेकर सिविल कार्यालय तक की जानकारी हकीकत में पता चल सकेगी जिससे सरकार की तमाम ऐसी योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाने में मदद होगी और जनता भी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों को समझेंगे कि हां सरकार हमारे लिए जो योजनाएं और बजट देती है उसका सही उपयोग हो रहा है या नहीं।

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