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लालगंज बालेश्वर मंदिर

योगी सरकार ने रायबरेली की जनता को दिया इस स्थल के विकास के लिए एक बड़ा बजट

योगी सरकार ने रायबरेली की जनता को दिया इस स्थल के विकास के लिए एक बड़ा बजट  रायबरेली। उत्तर प्रदेश सरकार ने जनता के लिये एक ऐसा काम करने का प्रण लिया है, जहां पर प्रत्येक मनुष्य अपना आखरी समय पहुंचता है जहां पर न कोई जाति पूछता और न किसी प्रकार का भेदभाव होता है साथ ही न ही किसी प्रकार की अपने साथ धन-दौलत साथ ले जा सकता है। धर्म के अनुसार उसे आम जनता अंत्योष्टि स्थल कहता है जहां मनुष्य मृत्यु के बाद पहुंचता है। अंत्योष्टि स्थलों की हालत काफी समय से जिले में खराब चल रही थी। जिसे शासन को कई बार प्रस्ताव भेजा गया था जिसको लेकर सरकार ने अब इन स्थलों के लिये बजट भेज दिया है। जिले के नौ गांवों में अंत्येष्टि स्थल बनवाए जाएंगे। इसके लिए शासन से 2.19 करोड़ रुपये मिले हैं। प्रत्येक अंत्येष्टि स्थल के निर्माण पर 24.36 लाख रुपये की लागत आएगी। शासन ने बजट देने के साथ ही डीपीआरओ को स्थलों का चयन करके सूची देने के आदेश दिए हैं, जिससे जल्द से जल्द अंत्येष्टि स्थलों के निर्माण का काम शुरू कराया जा सके। डलमऊ, गोकना, धूता सहित कई स्थानों पर पहले से अंत्येष्टि स्थल बनवाए गए है...

जनता पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ उठायेगी आवाज तभी सुधरेगी पुलिस- एन. रामचंद्रन

उत्पीड़न के खिलाफ उठे आवाज तभी सुधरेगी पुलिस-: एन. रामचंद्रन “ आम लोगों के मन में पुलिस की छवि क्रूर, पक्षपाती और भ्रष्टाचारी की मगर इसे दुरुस्त करने की फिक्र नहीं ” हाल में रिलीज फिल्म आर्टिकल 15 में भारतीय पुलिस की मौजूदा स्थिति को अच्छी तरह से दिखाया गया है। इस फिल्म ने न केवल शर्म और निराशा की गहरी भावना पैदा की, बल्कि इससे कुछ उम्मीद भी दिखती है। उम्मीद यह कि अब भी कुछ पुलिसवाले और नेता ऐसे हैं, जो आम नागरिक को इंसाफ दिलाने की जंग लड़ रहे हैं। सरकारी तंत्र को यह श्रेय तो दिया जा सकता है कि पिछले कुछ वर्षों में छोटे-छोटे सकारात्मक बदलाव हुए हैं। कह सकते हैं कि बदलाव के गंभीर प्रयास भी जारी हैं। भले ही उनकी रफ्तार धीमी है, लेकिन ये बदलाव निश्चित रूप से और विभिन्न तरीकों से हो रहे हैं। इसके लिए प्रगतिशील कानूनों, अदालती हस्तक्षेप, पुलिस व्यवस्था के भीतर ही विभिन्न सुधारवादियों के अथक प्रयासों और मानवाधिकारों को लेकर जागरूकता का शुक्रगुजार होना चाहिए। पहले की तुलना में जागरूकता बढ़ी है, हालांकि यह अब भी अपर्याप्त है। देश के कई हिस्सों में पुलिस बेह...

मुख्य सचिव डा.अनूप चंद्र पांडेय ने इस बार 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम मे जनता से जिलाधिकारी को बोलनी होंगी ये बाते

मुख्य सचिव डा.अनूप चंद्र पांडेय ने इस बार 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम  मुख्य सचिव डा.अनूप चंद्र पांडेय ने इस बार 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम बनाने के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होंने गुरुवार को जारी आदेश में कहा है कि इस दिन वे सरकार की मंशा सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के बारे में जानकारी दें। उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि सभी सरकारी कार्यालयों व संस्थाओं में सुबह आठ बजे से झंडारोहण होगा। जहां 1947 में लोगों ने इस दिन स्वतंत्रता दिवस मनाया हो, वहां मनाया जाए तो ज्यादा अच्छा होगा। यह भी बताया जाए कि प्रदेश सरकार साफ नीयत से सबके विकास के लिए काम कर रही है। सभी धर्मों के लोगों की एकता, सद्भभावना के बारे में भी बताया जाए। इसके साथ ही जनता दर्शन, कुंभ, कानून व्यवस्था, विकास की योजनाएं और कार्यक्रम जैसे इन्वेस्टमेंट समिट, प्रधानमंत्री आवास योजना, दस शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने का काम, महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा आदि के बारे में भी बताया जाए।

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक का जारी हुआ नया फरमान, अब आईजी-डीआईजी की मुहर लगने के बाद ही मिलेगी थानेदारी

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक का जारी हुआ नया फरमान, अब आईजी-डीआईजी की मुहर लगने के बाद ही मिलेगी थानेदारी  थानाध्यक्षों की तैनाती में मनमानी रोकने के लिए डीजीपी ओपी सिंह ने इंस्पेक्टरों व सब इंस्पेक्टरों की तैनाती के मापदंड तय कर दिया है। इसमें किसी इंस्पेक्टर या सब इंस्पेक्टर की थानाध्यक्ष पद पर तैनाती की आयु सीमा 58 वर्ष निर्धारित की गई है। इससे अधिक उम्र वालों को थानाध्यक्ष पद पर तैनात नहीं किया जाएगा।  डीजीपी से इस संबंध में बाकायदा सर्कुलर जारी किया है। डीजीपी के अनुसार थानाध्यक्षों की तैनाती के संबंध में मुख्यालय स्तर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। नए सर्कुलर में कहा गया है कि ऐसे सब इंस्पेक्टर, जिन्होंने व्यवहारिक प्रशिक्षण को छोड़कर सब इंस्पेक्टर के पद पर तीन वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण कर ली हो, थानाध्यक्ष पद पर तैनाती के लिए अर्ह होंगे। थानाध्यक्ष के लिए यह अर्हता भी होगी कि पिछले पांच वर्षों में उनका सत्यनिष्ठा प्रमाणपत्र रोका न गया हो। साथ ही पिछले तीन वर्षों में गंभीर प्रकृति के दंड या प्रतिकूल मंतव्य न प्रदान किए गए हों।...