सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

फ़रवरी, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रायबरेली 2017 विधान सभा के कांग्रेस के सभी प्रत्याशी।

                    © Please use proper referencing if you are taking any material from this blog.                        यदि आप इस ब्लॉग से कोई सामग्री ले रहे हैं, तो कृपया इस ब्लॉग का समुचित उल्लेख करें. 

रायबरेली 2017 विधान सभा के समाजवादी पार्टी के सभी प्रत्याशी

रायबरेली 2017 विधान सभा के बसपा के सभी प्रत्याशी

Add caption

रायबरेली 2017 विधान सभा के बीजेपी के सभी प्रत्याशी

इस सीट पर अखिलेश-राहुल के नेता हुए बागी, गठबंधन के लिए बने मुसीबत!.

इस सीट पर अखिलेश-राहुल के नेता हुए बागी, गठबंधन के लिए बने मुसीबत!. Read this news article on http://www.patrika.com/news/raebareli/congress-leader-ashok-kumar-singh-and-sp-leader-devendra-pratap-singh-nomination-from-sarei-assembly-seat-hindi-news-1502082/ समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के प्रत्याशी अलग-अलग दिन नामांकन करा चुके हैं । जबकि अखिलेश और राहुल गांधी कहना है कि हमारा एक दूसरे की सीटो को लेकर बटवारा हो चुका है। इसके बावजूद भी प्रत्याशियों में नाराजगी एक दूसरे के प्रति दिखाई दी। सरेनी विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी अशोक कुमार सिंह जोकि एक्स एम्एलए भी हैं, यह 1996 में समाजवादी पार्टी से चुनाव  जीते थे । और इसके बाद 2007 में  कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े थे और जीत हासिंल की थी।   समाजवादी पार्टी के देवेंद्र प्रताप सिंह वर्तमान में विधायक भी है। यह 2002 में समाजवादी पार्टी से जीत हासिल की थी इसके बाद 2012 में फिर समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े और भारी मतो से जीत हासिल की थी।  लेकिन देखा जाए तो प्रत्येक प्रत्याशी अपने अपने हुक्मरानों का या पार्टी मुख...

..जब 50 वर्ष पहले डालते थे मतदान.

..जब 50 वर्ष पहले डालते थे मतदान. Read this news article on http://www.patrika.com/news/raebareli/difference-between-voting-system-today-and-50-years-back-1497756/ ​रायबरेली में आज कुछ बुजुर्ग नेताओं से बात की जिसमें उनसे पूछा गया कि आज के मतदाता और 50 वर्श पहले मतदाता जब वोट डालने जाता था तो उसे क्या सुविधायें और क्या असुविधा होती थी। और आज चुनाव आयोग और प्रषासन का वोटरों को कितना फायदा मिलता है।  मतदान केन्द्रो पर इस पर सभी लोगों के अपने अपने विचार थें। अब्दुल हमीद खां जी का कहना है कि पहले वोट डालने में काफी परेषानी  हुआ करती थी और लोगों को घन्टों लाइनों में लगकर वोट डालने का मौका मिलता था। और अगी कोई दंबग आदमी होता था तो वह अपने प्रत्यासी को वोट डालने के लिये कहा करता था और काफी दवाब रहता था । लेकिन धीरे धीरे बदलाव आता गया और चुनाव आयोग की सख्ती से काफी बदलाव हो गया है और अब परिवर्तन इतना हो गया है कि महिलायें और पुरुशों की लाइनें तक अलग अलग लगती है। और इस बार तो आयोग ने बुजुर्ग लोगों और सभी के लिये पानी और घर से लाने जाने के लिये गाडी की सुविधा भी दी है जिसमें वह...